भगवान जगन्नाथ पूरी, उड़ीसा रथ यात्रा -2021 पर विशेष , जगन्नाथ रथ यात्रा की कहानी , रथ यात्रा से जुड़े रोचक तथ्य !

 भगवान जगन्नाथ पूरी, उड़ीसा रथ यात्रा -2021 पर विशेष : JAGGANNATH RATH YATRA-2021

Content / विषय:

·         जगन्नाथ भगवान कौन है ?

·         उनका मंदिर कब ओर किसने बनवाया ?

·         मंदिर की क्या कहानी है ?

·         भगवान की मूर्ति किस ने बनाई ?

·         जगन्नाथ रथ यात्रा कब ओर क्यों होती है ?

·         जगन्नाथ रथ की क्या विशेषताएँ है ?

·         जगन्नाथ रथ यात्रा 2021 में कब है ?

·         जगन्नाथ मंदिर के खजाने का क्या राज है ?

·         जग्गन्नाथ मंदिर की क्या – क्या विशेषताएँ है ?

भगवान जगन्नाथ कौन है? : भगवान जग्गन्नाथ भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार है को कहा जाता है । भगवान जग्गन्नाथ का मंदिर भारत के उड़ीसा राज्य के पूरी में स्थित है । भगवान जग्गन्नाथ के प्रति हिन्दू ओर बोधो की विशेष मान्यता है । हर वर्ष भगवान जग्गन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है जिसे हर धर्म से जुड़ा व्यक्ति देख सकता है क्योंकि जगगनाथ मंदिर में किसी भी ओर धर्म के व्यक्ति को मंदिर में प्रवेश नही दिया जाता । जगन्नाथ रथ यात्रा को देखने न केवल भारत से बल्कि पूरी दुनिया से लोग आते है ओर इससे पूरी, उड़ीसा राज्य को विश्व पटल पर स्थान मिलता है ।-www.singhblog.co.in

 उनका मंदिर कब ओर किसने बनवाया ? मंदिर की क्या कहानी है ? हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है की भगवान जग्गन्नाथ मालवा के राजा इन्द्र्देव मन के सपने में आए ओर उनसे कहा की में निलांचल पर्वत की एक गुफा में विध्यमान हूँ । आप मेरा वहाँ मंदिर निर्माण करें । भगवान जग्गन्नाथ वहाँ नील माधव के नाम से विध्यमान थे ओर वहाँ का सवर नामक कबीला उनकी पुजा करता था । ओर राजा ने अपने सेनिकों को आदेश जारी किया की वो निलांचल पर्वत से भगवान की मूर्ति लेकर आयें। राजा का आदेश  पाकर सेनिकों ने नीलाचल पर्वत की गुफा से मूर्ति को चुरा लिया ओर राजा के पास ले आए । ओर जब सवर कबीला को पता चला तो वो राजा के प्रति बहुत निराश हो गया । उधर भगवान जग्गन्नाथ फिर से राजा के सपने में आए ओर उनसे कहा के मुझे वापिस वहीं साथपित करो ओर मेरा मंदिर निर्माण करो फिर में मुझे उसमे स्थापित करना । उसके बाद राजा इंदर्देव मन ने एक भव्य मंदिर का निर्माण किया ओर भगवान से उसमे स्थापित होने की प्रार्थना की । तब भगवान ने राजा से कहा की समुद्र में द्वारका से बहता हुआ एक लकड़ी का विशाल टुकड़ा आ रहा है तुम उसे ढूँढो ओर उसे तराश कर मूर्ति निर्माण करो । ऐसा सुन कर राजा ने अगले ही दिन समुद्र में लकड़ी को ढूँढना शुरू किया ओर उसे वह टुकड़ा मिल गया । उसने अपने सैनिको को आदेश दिया के उस टुकड़े को पनि से बाहर खेन्चो पर कोई भी उसे खेचने में सफल न हो सका । फिर राजा ने सवर कबीले के मुखिया से आग्रह किया के वो उस टुकड़े को पनि से बहार निकाल दें क्योंकि वो काबिल भगवान की सदियों से आराधना करता आ रहा था । कबीले के मुखिया विश्वर वसु ने अकेले ही उस टुकड़े को बाहर निकाल दिया । उसके बाद राजा ने बहुत से कारीगरों से कहा की वो उस टुकड़े को गढ़ कर मूर्ति निर्माण करें पर कोई उस टुकड़े में छेनी तक मारने में सफल न हो सका । -www.singhblog.co.in

भगवान की मूर्ति किस ने बनाई ? उसके बाद ऐसी मान्यता है की स्वयं भगवान विश्वकर्मा धरती पर एक वर्ध रूप में आए ओर उन्होने राजा से कहा की वो उस लकड़ी के टुकड़े से 21 दिन में मूर्ति निरमान कर देंगे किन्तु उनकी एक शर्त रहेगी । उन्होने कहा की वो एक कमरे में मूर्ति निर्माण करेंगे पर इस दौरान कोई भी कमरे में प्रवेश न करे । राजा ने शर्त मान ली ओर वह वृद्ध मूर्ति निर्माण करने लगा । अभी मूर्ति निर्माण होते हुए कुछ ही दिन हुए थे की एक रानी ने राजा से प्रार्थना की के वो कमरे को खुलवा कर देखें मूर्ति का निर्माण कितना हो गया है ओर रानी के आग्रह पर राजा ने कमरे को खुलवा दिया। जब राजा अंदर गए तो उन्होने देखा के वो वृद्ध गायब था ओर मूर्तियाँ अभी अधूरी बनी हुई थी जिसमे भगवान ओर उनके भाई के पेर नही बने थे ओर उनकी बहन सुभद्रा के हाथ ओर पेर दोनों नही बने थे राजा ने इसे भगवान की इच्छा जान कर मूर्तियों को ऐसे ही स्थापित कर दिया  ओर तब से लेकर आज तक इन मूर्तियों की ऐसे ही रूप में पुजा होती आ रही है । ओर सातवीं सताब्दी में 1174 में इस मंदिर का पुनः निर्माण राजा अनंग भीमदेव ने करवाया । -www.singhblog.co.in

जगन्नाथ रथ यात्रा कब ओर क्यों होती है ? ऐसी मान्यता है की भगवान जग्गन्नाथ अपने भाई ओर बहन के साथ रथ पर सवार होकर माता गुदीचा के मंदिर जाते है जो की भगवान जग्गन्नाथ के मंदिर से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । मंदिर जाने से पहले भगवान की मूर्तियों को 108 पनि के घड़ों से नहलाया जाता है ओर उसके बाद रथ में सवार होकर भगवान माता गुड़िचा के मंदिर जाते है ।

जगन्नाथ रथ की क्या विशेषताएँ है ? भगवान जगन्नाथ के रथ बनाने में केवल 832 लकड़ियों का ही प्रयोग होता है । भगवान जगन्नाथ का रथ, जिसे नंदीघोष के नाम से जाना जाता है, 23 हाथ ऊंचा है और इसमें 18 पहिए हैं। बलभद्र जो की भगवान के भाई है के रथ, जिसकी ऊंचाई 22 हाथ है और इसमें 16 पहिये हैं, का नाम तलद्वाज है। सुभद्रा का रथ देवदलन 21 हाथ ऊँचा है और इसमें 14 पहिए हैं। इन रथों का रंग भी पहले से ही निश्चित है भगवान का रथ लाल ओर पीले रंग का होता है । बलभद्र के रथ का रंग लाल ओर पीले रंग का ओर सुभद्रा के रथ का रंग लाल ओर काला होता है । यात्रा के दौरान बलभद्र का रथ सबसे आगे उसके बाद सुभद्रा का रथ बीच में ओर भगवान जगन्नाथ का रथ अंत में चलता है । जिसे हजारों-लाखों की संख्या में लोग खिचते है ।

जगन्नाथ रथ यात्रा 2021 में कब है ?; भगवान जग्गन्नाथ की रथ यात्रा इस वर्ष 12 जुलाई से 19 जुलाई 2021 तक रहेगी। उड़ीसा सरकार ने इस वर्ष केंद्र सरकार से इसे दूरदर्शन के माध्यम से लाइव प्रसारण की अपील भी की है ।  

2021  12-Jul से 19-Jul

2022  01-Jul से 09-Jul

2023  20-Jun      से 28-Jun

2024  07-Jul से 16-Jul

2025  27-Jun      से 05-Jul

जगन्नाथ मंदिर के खजाने का क्या राज है ? ऐसा माना जाता है के मंदिर के नीचे सथित कमरों में अरबों – खरबों का खजाना रखा है इस खजाने में अमूल्य रत्न व मणिया है । सन 2018 में सरकार ने इस खजाने की सुरक्षा वयवस्था जाचने के लिए 16 सदस्यों की एक टिम भी भेजी थी किन्तु उन्हे उस खजाने वाले कमरे की चाबी ही नही मिली जबकि वो चाबी हजारों सालों से एक गुप्त स्थान पर रखी रहती थी।

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जग्गन्नाथ मंदिर की क्या – क्या विशेषताएँ है ?

1.   मंदिर का ध्वज रोज बदला जाता है हिन्दू धर्म में किसी भी मंदिर का ध्वज रोज नही बदला जाता । इसके पीछे ऐसी मान्यता है की अगर ऐसा नही किया गया तो भगवान का मंदिर 18 सालों के लिए बंद हो जाएगा।

2.   ओर मंदिर का ध्वज हमेशा हवा की उल्टी दिशा में लहरता है ।

3.   मंदिर समुन्द्र के बिलकुल किनारे पर साथित है पर मंदिर के अंदर आते ही समुन्द्र की आवाज बिलकुल नही आती ।

4.   मदिर की परछाई दिन के किसी भी समय धरती पर नही पड़ती ।

5.   मंदिर के ऊपर स्थापित सुदर्शन चक्र को आप जिस भी दिशा से देखेंगे वो आपको हमेशा सीधा ही नजर आएगा ।

6.   मंदिर की रसोई में 500 रसोइये ओर 300 सहायक रसोइये काम करते है ।

7.   मंदिर का प्रसाद तब तक खतम नही होता जब तक मंदिर बंद न हो जाए ।

8.   प्रसाद सात बर्तनो में एक के ऊपर एक रख कर बनया जाता है लेकिन जो बर्तन सबसे ऊपर होता है उसका प्रसाद सबसे पहले पकता है । उसके बाद एक के बाद एक ।

9.   जग्गन्नाथ मंदिर को धरती का वेकुंटलोक भी कहा जाता है ।

10. जग्गन्नाथ मंदिर भारत में सथित चार धामों में से एक है । चार धाम यानि : बद्रीनाथ , रामेश्वरम, द्वारका ओर जगननाथपुरी। हिन्दू धर्म के अनुसार हिन्दू को अपने जनम में कम से कम एक बार पूरी की यात्रा अवश्य करनी चहिये ।

11. मंदिर के ऊपर कभी कोई पक्षी या जहाज नही गुजरता ।

 

प्रिय पाठक, आपको ये जानकारी कैसी लगी आप हमें कमेंट के माध्यम से बता सकते है । जय श्री जग्गन्नाथ ।

डिस्कलमेर : “इस लेख में दी गई जानकारी / सामाग्री / गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नही है । ये जानकारी विभिन माध्यमों से एकत्रित की गयी है जैसे की ज्योतिषियों / पंचांग / प्रवचनों / धर्म ग्रन्थो आदि से । इस लेख का उदेश्य केवल सूचना पहुचना है, इसे उपयोगकर्ता केवल सूचना समझ कर ही ले । इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की ज़िम्मेदारी स्वयम उपयोगकर्ता की रहेगी ।www.singhblog.co.in

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Charan Singh

Working with professional groups since 2009 to till date.

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