Valmiki Jayanti 2021: महर्षि वाल्मीकि जयंती पर विशेष । जाने डाकू रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि बनने का सफर ।

Valmiki Jayanti 2021: महर्षि वाल्मीकि जयंती पर विशेष । जाने कैसे डाकू से महर्षि वाल्मीकि बनने का सफर । 


 Valmiki Jayanti 2021 (वाल्मीकि जयंती 2021): वाल्मीकि जयंती इस वर्ष 20 अक्तूबर 2021 के दिन मनाई जाएगी । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन माह की पुर्णिमा के दिन हुआ था । इस वर्ष ये पुर्णिमा 20 अक्तूबर के दिन है इसलिए महर्षि वाल्मीकि जयंती भी इसी दिन मनाई जाएगी । #SinghBlog

वाल्मीकि जीवनी:  कई पौराणिक कथाओं के अनुसार वाल्मीकि जी का जन्म वरुण और चर्षणि के पुत्र के रूप में हुआ था । वरुण जोकि महर्षि कश्यप और अदिति के नौवें पुत्र थे। कुछ कथाओं के अनुसार वाल्मीकि जी निषाद थे । उनके जीवन से जुड़ी एक पौराणिक कथा इस प्रकार है :

डाकू से वाल्मीकि बनाने की कथा : प्राचीन समय में एक बार रत्नाकर नाम का डाकु था जो अपने क्षेत्र में आने –जाने वाले यात्रियों को लुटता था । और उस लूटे हुए धन से अपना और अपने परिवार का भरण पौषण करता था । और एक बार में नारद मुनि उस क्षेत्र से गुजार रहे थे जहां रत्नाकर का आतंक था । मुनि को अकेला देख रत्नाकर उसे बंधि बना लेते हैं । किन्तु जब नारद मुनि उससे कहते हैं के: “ हे रत्नाकर , तुम ये सब पाप कर्म किस लिए कर रहे हो ।“ तो रत्नाकर उसका जवाब देता है के अपने परिवार के भरण पौषण के लिए तो उस पर नारद जी कहते हैं के “क्या तुम्हारे इस पापकर्म या जो अपराध तुम अपने परिवार के लिए कर रहे हो क्या वो तुम्हारे इस कर्म में भागीदार हैं” इस प्रश्न पर रत्नाकर सोचने लगा और उसने मुनि से कहा के हाँ, वो सब भी भागीदार होंगे । फिर मुनि कहते हैं के “जाओ एक बार अपने परिवार से पूछकर बताओ तब तक में यहीं बंधी बना हुआ हूँ ।“ रत्नाकर मुनि को पेड़ से बांधकर अपने घर आता है और अपने परिवार के एक –एक कर सभी सदस्यों से पूछता है के जो मैं पापकर्म कर रहा हूँ क्या तुम लोग उसमे मेरे भागीदार हो । तो एक –एक कर सभी सदस्य कहते हैं के हम क्यों आपके कर्मों के भागीदार बने हम तो केवल आपके साथ परिवार/रिश्तों के बंधन के रूप में जुड़े हुए हैं । आप जो कर्म कर रहे हो उसके भागीदार तो केवल आप हैं हम नही । रत्नाकर ये सुन कर आश्चर्य में पड जाते हैं और वापिस जंगल में आ जाते हैं जहां उन्होने मुनि को बंधी बना रखा था । वो आकार नारद मुनि को स्वतंत्र करते हैं और अपने अपराधों के लिए उनसे क्षमा मांगते हैं फिर नारद जी उन्हे क्षमा करते हुए राम नाम के जाप की तपस्या का रास्ता बताते हैं । रत्नाकर मुनि आज्ञा पाकर  उसी समय सब पापकर्म त्याग कर राम नाम के जाप में जुट जाते हैं। और वो इतने गहन ध्यान में चले जाते हैं के उनके ऊपर दीमक अपना घर बना लेती है । दीमक के घर को वलिमिक कहा जाता है और इसी कारण उनका नाम वाल्मीकि पड गया । #SinghBlog

वाल्मीकि रामायण रचना : एक समय की बात है वाल्मीकि जी क्रोञ्च पक्षी (सारस) के जोड़े को प्रेम करते हुए देख रहे थे वो दोनों पक्षी प्रेम प्रसंग में लिप्त थे के एक बहेलिया शिकारी उन पर बान चला देता है जिससे नर पक्षी मर जाता है, नर पक्षी को मृत देख मादा पक्षी विलाप करने लगता है । यह देख वाल्मीकि जी का हृदय द्रवित हो उठता है और क्रोध में उनके मुख से संस्कृत में एक श्लोक निकलता है:

मा निषाद प्रतिष्ठा त्वगम: शाश्वती: समा:।

यत्क्रौंचमिथुनदेक वधि: काममोहितम ।।      

अर्थात: हे, दुष्ट, जिस प्रकार तूने प्रेम में लिप्त क्रोञ्च पक्षी को मारा है जा तुझे जीवन में कभी प्रतिष्ठा प्राप्त नही होगी और तू भी इसी प्रकार वियोग झेलेगा।

और उनके मुख से निकले इसी शलोक को संस्कृत भाषा का पहला श्लोक भी कहा जाता हैं । और इसी श्लोक के बाद वाल्मीकि जी ने रामायण रचना शुरू की ।  वाल्मीकि जी को आदिकवि कहा जाता है और उनको संस्कृत के पहले कवि के रूप में जाना जाता है । वाल्मीकि जी ने जो रामायण महाकाव्य लिखी वो संस्कृत भाषा में है और इस रामायण को वाल्मीकि रामायण के रूप में जाना जाता है । संस्कृत भाषा में लिखी इस रामायण में 24000 श्लोक हैं । अपने महाकाव्य रामायण में उन्होने अनेक घटनाओं के समय सूर्य, चंद्र , गृह और नक्षत्रों की स्थितियों का भी वर्णन किया है इससे पता चलता है के वाल्मीकि जी ज्योतिष और खगोल विद्या के भी बड़े ज्ञानी थे ।

माता सीता को आश्रय और लव-कुश की शिक्षा : माता सीता जब वनवास समाप्त कर अयोध्या वापिस आ जाती हैं तो अयोध्यावासियों के कटु तानो को सहन नही कर पाती और वो भगवान राम की आज्ञा लेकर वन प्रस्थान कर जाती हैं जब सीता माता वन –वन भटकते हुए महारिशी वाल्मीकि जी के आश्रम पाहुचती हैं तो वाल्मीकि जी उन्हें अपने आश्रम में आश्रय प्रदान करते हैं और यहीं रहते –रहते माता सीता ने लव- कुश को जन्म दिया । और आगे चलकर लव-कुश को वाल्मीकि जी ने सस्त्र, शास्त्र, नीति, धर्म की शिक्षा प्रदान करते हुए सम्पूर्ण रामायण का भी ज्ञान दिया । #SinghBlog

वाल्मीकि संक्षिप्त जीवनी : #SinghBlog

कवि : आदि कवि

भाषा : संस्कृत

अन्य नाम : त्रिकालदर्शी, भगवान वाल्मीकि, गुरुदेव, ब्रहमरिशी

जन्म : अश्विनी माह की पूर्णिमा को

शास्त्र : रामायण, योगवशिष्ट, अक्षरलक्ष्य के रचनाकर

उत्सव : वाल्मीकि प्रक्टोत्सव

संबंध : हिन्दू देवता

इसी के साथ आप सभी पाठकों को महर्षि वाल्मीकि जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ । लेख को आगे share करना न भूलें । #SinghBlog

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Valmiki Jayanti 2021: 20 अक्तूबर 2021 (20 October 2021) SinghBlog

डिस्कलमेर : “ इस लेख में दी गई जानकारी / सामाग्री / गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नही है । ये जानकारी विभिन्न माध्यमों से एकत्रित की गयी है जैसे की ज्योतिषियों / पंचांग / प्रवचनों / धर्म ग्रन्थो/ इंटरनेट  आदि से । इस लेख का उदेश्य केवल सूचना पहुचना है, इसे उपयोगकर्ता केवल सूचना समझ कर ही ले । इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की ज़िम्मेदारी स्वयम उपयोगकर्ता की रहेगी l 


Charan Singh

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