निर्जला एकादशी कब है ? निर्जला एकादशी का महत्व ? निर्जला एकादशी पुजा विधि व सामग्री ? निर्जला एकादशी शुभ महूर्त कब है ? निर्जला एकादशी व्रत कथा ?
निर्जला एकादशी कब है ?: निर्जला एकादशी
व्रत जेयष्ट मास के शुक्ल पक्ष में पड़ता है । इस दिन बिना जल ग्रहण किए भगवान विष्णु
की आरधना की जाती है । इस साल यानि 2021 में निर्जला एकादसी
एकादसी तिथि प्रारम्भ : 20 जून 2021 (शाम 4:21) से
एकादसी तिथि समाप्त : 21 जून 2021 (दोपहर 1.31 बजे)
पारण समय (व्रत खोलने का समय ) : 22 जून 2021 (सुबह 5:13 से
8: 00 बजे) तक
निर्जला एकादशी पुजा विधि ? इस दिन ब्रहम महूर्त
(4 ए एम से 5 ए एम )में उठ कर यानि सुबह सूर्य उदय से पूर्व उठना है स्नान आदि नित्यकर्म
से निवरत होकर । हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें व्रत का संकल्प लें :
भगवान विष्णु का ध्यान करें ओर पुजा करें ओर पुजा में भगवान को पीले फूल ओर फल का भोग लगाएँ
। भगवान के मंत्र का जाप करें “ॐ नमो भगवाते वसुदेवाय”
पुजा के पश्चात दिन में भी श्री हरी विष्णु का ध्यान करें ओर
उनके नाम का जाप करें । ओर व्रत के दौरान आप पानी का सेवन न करें ।
पूरा दिन आपको भगवान विष्णु की आराधना ओर ध्यान में व्यतीत करना
है
रात के समय भी आपको सोना नहीं है भगवान का ध्यान करते हुए भजन
कीर्तन करते हुए भगवान की आराधना करनी है ।
ओर अगले दिन सुबह नहा – धोकर तैयार हो जाएँ
पहले श्री हरी विष्णु को भोग लगाना है उसके पश्चात किसी गरीब, जरूरतमंद
या ब्राह्मण को दान दें ओर फिर व्रत का पारण करें । व्रत पारण के उपरांत स्वयम भी भगवान
का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए ।
एकादशी व्रत के विषय में कहा जाता है के यदि व्यक्ति इस व्रत
को सच्चे मन से करे तो उसका जीवन सुखमय रहता है ।
एकादशी निर्जला व्रत सामग्री :
·
भगवान श्री हरी विष्णु का चित्र या मूर्ति
·
तुलसी दल (अति आवश्यक है)- तुलसी के बिना विष्णु भगवान की पुजा नही लगती
·
पीले रंग के फूल ओर फल
·
नारियल
·
सुपारी
·
लॉन्ग , धूप , दीप ओर घी
·
पंचामृत , अक्षत
·
चन्दन ओर मिष्टान (यदि पीले रंग के हो तो ज्यादा अच्छा है )
आदि
·
निर्जला एकादशी व्रत कथा ? इस व्रत के पीछे
मान्यता है की महाभारत काल में भीम ने माहारीषी वेद व्यास जी से पूछा के मेरा पूरा
परिवार एकादशी व्रत करता है । साल में पड़ने वाली सभी एकदशियों का वर्त करते है यानि
पूरे 24 व्रत करते है । किन्तु में यह व्रत नही कर पा रहा हूँ क्योंकि मुझसे भूख बरदास्त
नही हो पाती । तो - हे मुनिवर आप मुझे कोई ऐसा मार्ग बताएं के मुझे सभी एकदसियों का
फल प्राप्त हो । तो वेद व्यास जी ने भीम से कहा के तुम हर वर्ष जेयष्ट मास के शुक्ल
पक्ष में पड़ने वाली निर्जला एकादसी का केवल एक वर्त करो बिना अन्न जल गर्हण किए तो
तुम्हें सभी एकदासियों के व्रत का फल प्राप्त होगा। तब से यह व्रत परंपरा चली आ रही
है ।
डिस्कलमेर : “इस लेख में दी गई जानकारी / सामाग्री / गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नही है । ये जानकारी विभिन माध्यमों से एकत्रित की गयी है जैसे की ज्योतिषियों / पंचांग / प्रवचनों / धर्म ग्रन्थो आदि से । इस लेख का उदेश्य केवल सूचना पहुचना है, इसे उपयोगकर्ता केवल सूचना समझ कर ही ले । इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की ज़िम्मेदारी स्वयम उपयोगकर्ता की रहेगी ।“

Nice information
ReplyDelete