गोगा नवमी 2021 कथा (गोगा नौमी कथा) Guga Navami 2021 , Goga Navami 2021 I Goga Jaharveer Navami Katha I
o गोगा नवमी कथा
क्या है ?
o गोगा नवमी कब
है ?
o गोगा जी की
जन्म कथा ?
o गोगा जी की
भक्त प्रथा के बारे में?
गोगा नवमी या गोगा नौमी : विक्रमी संवत के अनुसार भाद्रपद माह के कृषण पक्ष की नवमी को गोगा नौमी के रूप में मानाया जाता है । ओर इस वर्ष यानि 2021 में ये नवमी 31 अगस्त के दिन पड़ने वाली है । गोगा नवमी को उत्तर भारत में विशेषकर हिमाचल प्रदेश, हरियाणा , पंजाब , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश , राजस्थान, दिल्ली ओर उत्तराखंड आदि में बड़े हर्शौल्लास के साथ मनाया जाता है। गोगा जी महाराज को नागों का देवता भी कहा जाता है । ऐसी मान्यता है की जो भक्त सच्चे मन से गोगा जी आरधना करता है उसको कभी साँपो से कोई भय नही रहता । ओर गोगा जी अन्य सभी प्रकार की बुराइयों से भी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं । एक ओर मान्यता के अनुसार गोगा जी बच्चो की रक्षा करते हैं यानि छोटे बच्चों को किसी भी नुकसान से बचाते हैं इसलिए महिलाएं अपने बच्चों के लिए विशेषकर गोगा जी महाराज की आराधना करती हैं । गोगा महाराज की पुजा श्रवण मास की पुर्णिमा यानि रक्षाबंधन के त्योहार से शुरू हो जाती है ओर ये पूरे नौ दिन चलती है। नौवें दिन यानि कृषण पक्ष की नवमी के दिन गोगा नवमी का त्योहार मनाया जाता है ।
गोगा नवमी कब है : 31 अगस्त 2021, दोपहर 2 बजे से लेकर 01 सितंबर 2021 सुबह 4.23 तक
गोगा जी जन्मस्थली ओर बागड़, हनुमानगढ़ जिला राजस्थान
में विशाल मेले का आयोजन होता है । भक्तगण हनुमानगढ़ , बाबा
के दर्शोनो के लिए प्रतिवर्ष बड़ी तादाद में पाहुचते हैं किन्तु इस वर्ष कोरोना के
कारण केवल ऑनलाइन माध्यम से ही गोगा मेडी ओर गोरखतीला के दर्शन कराये जा रहें हैं।
ओर इसके साथ –साथ गोगा नवमी के दिन हिमाचल
प्रदेश के हमीरपुर जिले मे विशाल मेले का आयोजन भी होता है । #SinghBlog
गोगा जी महाराज जन्म कथा : गोगा जी एक राजपूत
राजकुमार थे जिनहोने माता बाछल की कोख से जन्म लिया। माता बाछल को काफी समय से
संतान सुख की प्राप्ति नही हो रही थी । माता बाछल इसी चिंता में रोज भगवान से
प्रार्थना करती रहती थी की उन्हे संतान प्राप्ति हो । फिर एक बार उनके राज्य में गुरु
गोरखनाथ जी का आगमन हुआ । गुरु गोरखनाथ महातपस्वि ओर सिद्ध ओर चमत्कारी
महात्मा थे ओर उसी प्रकार उनके शिष्य भी बहुत ही चमत्कारी थे । जब वो उनके राज्य
के बाहर स्थित एक बाग में अपना डेरा लगा लेते हैं ओर अपने शिष्यों को भिक्षा के
लिए राज्य में भेजते है तो उनके एक शिष्य सिद्ध धनेरिया , माता
बाछल के महल में भिक्षा लेने पहुँच जाते हैं । माता बाछल का महल धन धान्य से भरपूर
था तो माता बाछल ने उस शिष्य को धन दान देने लगी । ऐसे में उस शिष्य ने अपना
भिक्षा पात्र पीछे कर लिया ओर कहा के मुझे धन की कोई आवश्यकता नही है यदि आपके पास
कुछ अन्न है तो दें अन्यथा में आगे बढ़ता हूँ । ओर ये सुनकर माता बाछल गुस्सा हो
जाती है ओर कहती हैं के मेरे पास तो अन्न के भंडार भरे पड़े है बोलो तुम इतना अन्न
कहाँ रखोगे तो वह शिष्य अपना भिक्षा पात्र फिर आगे कर लेता है फिर जब माता बाछल की
आज्ञा पाकर भंडारपाल अन्न उस पात्र में डालने लगते हैं तो उस पात्र में जितना भी
अन्न डालते वो पात्र आधा ही भरता ऐसे करते करते एक के बाद एक भंडार खाली होने लगे
ओर जब ये सूचना माता बाछल के कान में पड़ी तो माता बाछल रोते हुए उन शिष्य से माफी
मांगती है ओर सिद्ध धनेरिया उनकी प्रार्थना से खुश हो जाते हैं ।
किन्तु वो माता बाछल के मुख की चिंता को समझने की कोशिश करते हुए पुछते हैं
के- माता! आप इतनी चिंतित क्यों हैं ?, तो माता बाछल उनको अपना पूरा वृतांत बताती हैं । तो सिद्ध धनेरिया उनसे
कहते हैं की यदि वो गुरु गोरखनाथ जी की शरण में जाएँ तो उनका उद्धार हो जाएगा । ओर
माता बाछल गुरु गोरखनाथ जी के डेरे में जाने का प्रण कर लेती हैं । परंतु यही बात
माता बाछल की बाँदी यानि माता की सेवादार माता बाछल की बहन काछल को बता देती है ।
काछल भी माता बाछल की तरह निःसंतान थी । ओर काछल की शक्ल माता बाछल से हूबहू मिलती
थी । ओर अगली सुबह होते ही काछल माता बाछल से पहले तैयार होकर गुरु के डेरे में
पहुँच जाती हैं ओर गुरु से पुत्र प्राप्ति का वरदान ले लेती हैं । किन्तु जब तक
माता बाछल वहाँ पहुँचती हैं तब गुरु गोरखनाथ जी का डेरा वहाँ से जा रहा होता है माता
बाछल गुरु को पूरा व्रतांत बताती हैं ओर गुरु से प्रार्थना करती हैं के उन्हें भी
वरदान दें । गुरु गोरखनाथ जो महा तपस्वि महात्मा थे माता के बार – बार आग्रह से
प्रसन्न होकर माता बाछल को भी पुत्र रत्न का वरदान दे देते है। ओर वरदान सवरूप
माता बाछल को नवमी के दिन पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है – ओर माता अपने पुत्र का
नामकरण गुगा करती हैं तब से लेकर आजतक ये परंपरा गोगा नवमी के रूप में चली आ रही
हैं । गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से गोगा जी बहुत ही प्रतापी,
सिद्ध शिरोमणि, नागों के देवता, नीले
घोड़े के सवार के रूप में जाने जाते हैं। ऐसी मान्यता भी है,
के यदि गोगा मेडी (गुगा मंदिर) से लाई मिट्टी को घर में रखा जाये तो घर में कभी
सांप प्रवेश नही कर सकता । #SinghBlog
गोगा नवमी कथा: जब गोगा जी महाराज
विवाह योग्य हुए तो उनके विवाह के लिए गौड़ बंगाल के राजा मालप की पुत्री सीरियल को
चुना गया । लेकिन मालाप राजा ये विवाह करने के लिए तैयार नही था । ऐसे में जब गोगा
जी महाराज अपनी वयथा गुरु गोरखनाथ जी को बताते हैं तो गुरु गोरखनाथ जी अपने शिष्य को
दुखी देखकर वासुकि नाग को ये कार्य कराणे का आदेश देते हैं । गुरु की आज्ञा पाकर वासुकि
नाग बंगाल देश चला जाता है ओर वहाँ के जादू को देखकर अचंभित होता है। क्योंकि वो देश
जादूगरों के देश के नाम से विख्यात था फिर वासुकि नाग कैसे करके माता सीरियल के कक्ष
में प्रवेश करता है ओर सीरियल को डंस लेता है ओर सीरियल बेहोश हो जाती हैं । पूरे राज्य
में ये खबर आग की भांति फ़ेल जाती है ओर वहाँ के एक से एक वैद्य माता सीरियल को सही
करने के प्रयास करते हैं पर माता सीरियल ठीक नही हुई फिर वासुकि नाग एक साधु का वेशधर
राजा के महल में प्रवेश करता है ओर राजा से आग्रह करता है यदि वो उनकी बेटी को ठीक
कर दें तो उनको उनकी एक बात मनानी होगी । राजा साधू की बात मनाने को तैयार हो जाता
है ओर वासुकि नाग जोकि साधू के वेश में थे माता सीरियल का सारा विश उतार देते हैं ओर
फिर वह साधू राजा से अपनि शर्त अनुसार सीरियल का विवाह गोगा जाहर वीर से करने का आग्रह
करते हैं । राजा उसके लिए तैयार हो जाते है ओर इस प्रकार गोगा जी का विवाह माता सीरियल
से हो जाता है।
गोगा जी की भक्त प्रथा के बारे में?: गोगा जी महाराज बहुत शक्तिशाली देवता हैं ओर उनके भक्त उनकी आराधना व पुजा सुबह – शाम करते हैं उनकी फोटो अपने घर में लगाकर सुबह –शाम जोत जलाते हैं, ओर पुजा पाठ करते हैं । गोगा जी के गुणगान के लिए कथा वाचक गोगा जी की कथा गाते हैं जिसे बसेरा भी कहा जाता हैं में भक्तगण गुगा जी की छड़ी सजाते/ सिंगारते हैं जिसमे पीले ओर नीले रंग के कपड़े बांधे जाते हैं । ओर गोगा जी महाराज की अदृश्य शक्ति के रूप में आज भी अपने भक्तों में आते हैं । जब कोई गोगा जी कथा का गुणगान अपने घरों में कथा वाचकों (समइयों) से करता है तो गोगा जी अपने भगत के माध्यम से अदृशयरूप से कथा के बीच में आज भी प्रकट होते हैं ओर भक्तों की मुराद पूरी करते हैं । जब गोगा जी महाराज या गोगा जी के साथ चलने वाले कोई देवता जैसे वीर सबल सिंह जी , वीर नार सिंहद्वान, बहन श्यामकौर, माई मदान्न, हेमराज गधिले, अस्तबली , नौ नाथ, चौरासी सिद्ध, भैरों नाथ, माई कालका, वीर कूडिया , वीर बावरी, अपने भगत के अंदर प्रवेश करते हैं तो भगत के अंदर तीव्र कंपन चालू हो जाती है ओर कई बार भगत वहाँ स्थापित गुरु गोरखनाथ धुने से चिमटा या साँटा निकालकर भगत अपने पीठ पर प्रहार करता है । किन्तु ये बात आज भी सोच का विषय है भगत जो की इतना भरी भरकम साँटा या चिमटा अपने कमर पर प्रहार करता है पर उसके कमर पर निशान तक नही पड़ते । गोगा जी महाराज इसी प्रकार पीढ़ी दर पीढ़ी गुरु –चेले के परंपरा से अपने भगत का चयन कर उसमे प्रवेश करते हैं । उदाहरण के लिए : गाव जंगला भूड़, सिरमौर जिला हिमाचल प्रदेश में जंगला भूड़ गद्दी के भगत स्वर्गीय रक्खा राम जी के बाद उनके शिष्य भगत संदीप कुमार जी उनके स्थान पर आ गए । गुरु अपने शिष्य को भक्ति की सारी विधाएँ बताते हैं ओर उसके बाद गोगा कथा के बीच अपने शिष्य को पगड़ी बांध कर चेला नियुक्त करते हैं । ओर इसी कड़ी में ये भगत परंपरा निरंतर चलती रहती है #SinghBlog
आशा है दोस्तो, आप सभी को ये लेख पसंद आया होगा आप सब से आग्रह है के इस लेख को ज्यादा से जायदा लोगों से share करें ताकि सब लोग इस जानकारी को समझें ओर इसी के साथ आप सभी को रक्षाबंधन ओर गोगा नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ । #SinghBlog

Nice information
ReplyDeleteJai Goga ji
ReplyDeleteJai jaharpeer ji
ReplyDeleteJai goga peer ki jai🙇
ReplyDeleteJai Guga ji maharaj
ReplyDeleteGuga Navami 2021 ke baare mein jankari dene ke liye aapka dhanyavad jai guga maharaj
ReplyDeleteThanks for your valuable comments....Jai Goga Jahar peer ji
ReplyDeleteJai goga peer maharaj ki jai ho
ReplyDeleteJai Goga pir maharaj ki, Jai Guru gorakhnath ji ki
ReplyDeleteJai Jaharveer Shri Goga ji mahraj, Jai Shri Guru Gorakhnath ji ki
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