गुरु पुर्णिमा पर विशेष । जाने गुरु पुर्णिमा का महत्व , गुरू मंत्र । Guru Purnima 2021

 गुरु पुर्णिमा कब है: गुरु पुर्णिमा 24 जुलाई 2021, दिन शनिवार

गुरु पुर्णिमा: गुरु पुर्णिमा या व्यास पुर्णिमा का पर्व हर वर्ष आषाढ़ माह की पुर्णिमा को आता है इस दिन ये मान्यता है की महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी ने चारों वेदों का ज्ञान जन मानस तक पहुंचाया इसीलिए उनके जन्म दिवस को गुरु पुर्णिमा के रूप में मनाने की ये परंपरा चली आ रही है । और इस वर्ष यानि 2021 में गुरु पुर्णिमा 24 जुलाई 2021, दिन शनिवार को पड़ रही है । भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान हमेशा से प्रथम माना गया है ।

गुरु मंत्र:     

“गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा

गुरु साक्षात परब्रहमा तस्मै श्री गुरुवे नमः II “

      गुरुओं को समर्पित इस दिन का विशेष महत्व है । भारतीय संस्कृति के अनुसार गुरु को माता –पिता से भी पहले माना गया है यानि माँ –बाप से भी बढ़ कर गुरु होते हैं । क्योंकि गुरु ही वो सखसियत है जो हमें सदमार्ग पर चलना सिखाता है , हमें अपना और संसार के अच्छे –बुरे का बोध करता है । न केवल हिन्दू धर्म में बल्कि सभी धर्मों में गुरु को विशेष स्थान दिया गया है । जैसे की सिख धर्म में बहुत से गुरु हुए और सिख धर्म उनही की शिक्षाओं का अनुसरण करता आ रहा है । सिख धर्म में गुरु की शिक्षाओं/बाणीयों की एक पवित्र पुस्तक जिसको “गुरु ग्रंथ साहिब” कहा जाता है उसकी पुजा होती है और उसका अनुसरण किया जाता है ।www.singhblog.co.in

Guru Purnima 2021
गुरु महत्व :  गुरु की महिमा सर्वोपरि है । हम अपने विध्यार्थी जीवन में शायद उन मूल्यों को उतना नही जान पाते जितना जब हम बड़े हो जाते है या हम इस काबिल हो जाते हैं जहां से हम तुलना कर सकें तब पता चलता है के हमें जो गुरु ज्ञान/ गुरुओं से शिक्षा मिली है उसका कितना महत्व है ।  जैसे कहा भी गया है :

गुरु कुम्हार शीश कुम्भ है , गढ़ –गढ़ काढ़े खोट

अंतर हाथ सहार दे , बाहर मारे चोट II

      यानि गुरु वो हस्ती है जो हमें पूरी तन्मयता/मेहनत से तराशता है, जैसे कुम्हार अपने घड़े को बनाते वक्त उसमें एक हाथ अंदर डाल कर उसको सहारा देता है और दूसरे हाथ से उसे आराम –आराम से पीटते हुए उसे घड़े का आकार देता  है । उसी प्रकार गुरु भी हमें जब हम गलतियाँ करते हैं तो हमे डांटे भी हैं और हमें शिक्षा देते है और हमारे अच्छे -बुरे का बोध भी कराते हुए हमे शिक्षित और सभ्य बनाते हैं  www.singhblog.co.in

गुरु गोबिन्द दोऊ खड़े काके लागू पाये, बालहारी गुरु आपने गोविंद दियो मिलाय॥“

      जैसा की इस पंक्ति में कबीरदास जी ने भी कहा है के एक ऐसी स्थिति है जिसमे सामने गुरु भी खड़े है और गोविंद यानि भगवान भी खड़े हैं तो मुझे पहले किसके पाँव छूने चाहिए । तो इसमे कबीरदास जी बताते है के मैं पहले गुरु के पाँव को छूऊंगा क्योंकि गुरु के माध्यम से ही मुझे गोविंद यानि भगवान की प्राप्ति हुई है । यदि गुरु नही होते तो वो भगवान तक पहुँच ही नही पाते । इसी प्रकार हमे जो ज्ञान/शिक्षा प्राप्त होती है वो हमे अपने गुरुओं /शिक्षकों के माध्यम से प्राप्त होता है अतः हमे अपने गुरुओं का हमेशा आदर करना चाहिए।

      इनहि सब बातों के साथ आप सभी को गुरु पुर्णिमा की बहुत –बहुत बधाई । यदि आपको ये लेख अच्छा लगा हो तो आगे जरूर share करें । www.singhblog.co.in

 

 

Charan Singh

Working with professional groups since 2009 to till date.

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