खेल जगत में मिलने वाले सबसे बडे पुरस्कार का नाम अब : मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है I Rajiv Gandhi Khel Ratan is now Major Dhyanchand khel ratan award

 खेल जगत में मिलने वाले सबसे बडे पुरस्कार का नाम अब : मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कर दिया गया है I

हरवर्ष राष्ट्रिय खेल दिवस : 29 अगस्त के दिन भारत के प्रतिभावान खिलाड़ियों और उनके प्रशिक्षकों को भारत सरकार विशिष्ट खेल सम्मान मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार जोकी इससे पहले राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के नाम से जाना जाता था, ओर साथ ही अर्जुन अवार्ड, द्रोणाचार्य अवार्ड से नवाजाती है ।खेल रत्न पुरस्कार की शुरुवात सन 1991 92 से हुई । खेल रत्न पुरस्कार खिलाड़ियों को इसलिए दिया जाता है ताकि उनकी प्रतिष्ठा बढ़े और वो खिलाड़ी जिसने अपने देश का नाम बुलंद किया है उसका जीवन सम्मानपूर्ण रहे । खेल रत्न पुरस्कार के रूप में खिलाड़ियों को एक मेडल , प्रमाण पत्र और कुछ इनाम राशि दी जाती है ।

2004 05 तक इनाम राशि 5 लाख थी जिसे 2020 में बढ़ा कर 25 लाख रुपए किया गया । 

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार  हो गया है ये पुरस्कार खेल जगत से जुड़े खिलाड़ियों के लिए भारत सरकार का सर्वोच्च सम्मान है।  भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी  ने आज यानि 06 अगस्त 2021 को इसकी घोषणा अपने टिवीटर हैंडल से दी । उन्होने लिखा के “मुझे भारत के नागरिकों से खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने के लिए कई अनुरोध प्राप्त हुए , मेँ उन सभी विचारों का धन्यवाद करता हूँ ओर उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए, अब खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाएगा।“

 आइये, जानते हैं मेजर ध्यानचंद कौन थे ?: हॉकी का जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का स्थान हॉकी इतिहास मेँ सर्वश्रेष्ट है। मेजर ध्यानचंद ने अपने हॉकी करियर मेँ बहुत बड़े – बड़े मुकाम हासिल किए ओर भारतवर्ष का परचम पूरी दुनिया मेँ लहराया। मेजर ध्यान चंद ने अपने पूरे अंतर्राष्ट्रीय करियर मेँ 400 से अधिक गोल किए हैं। जो की एक बड़ा इतिहास है।  साल 1928, 1932 और 1936 मेँ हुए ओलंपिक के मैचों मेँ भारत को स्वर्ण पदक दिलाये। जिसमे 1928 मेँ खेले गए ओलंपिक मैचों मेँ ध्यान चंद ने 14 गोल एकेले ही दागे।   www.singhblog.co.in #SinghBlog

उस समय के बड़ी – बड़ी हस्तियाँ ध्यानचंद के आगे नतमस्त्क थी।  यहाँ तक की हिटलर जोकि इतिहास का बहुत बड़ा तानशाह रहा हैं, ने मेजर ध्यानचंद के आगे जर्मनी की तरफ से खेलने की पेशकश की थी ओर जिसे भारत के महान खिलाड़ी ध्यान चंद ने मुसकुराते हुए ना कह दिया था।जब ध्यानचंद मैदान में खेलने के लिए उतरते थे तो ऐसा प्रतीत होता था मानो गेंद उनकी हॉकी से चिपक गई है और एक बार जर्मनी की टीम ने उनकी हॉकी में चुम्बक लगा मान कर उनकी हॉकी को हो तोड़ दिया था । 

साल 1948 मेँ ध्यानचंद ने अपना अंतिम मैच खेला ओर 03 दिसंबर 1979 को मेजर ध्यानचंद इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। www.singhblog.co.in #SinghBlog

राष्ट्रिय खेल दिवस हर वर्ष 29 अगस्त को मनाया जाता है इसका आयोजन मेजर ध्यानचंद की जयंती के उपलक्ष पर ही किया जाता है। इस दिन भारत के सर्वश्रेष्ट खिलाड़ियों को अलग – अलग अवार्ड्स से नवाजा जाता है।    www.singhblog.co.in #SinghBlog

खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया जाना उनके लिये एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।

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Charan Singh

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